प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई: DEO का आदेश, यूनिफॉर्म और महंगी किताबों की बिक्री पर पूरी तरह रोक
रायपुर – छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और समान बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रायपुर ने जिले के सभी निजी स्कूलों को लेकर कड़ा आदेश जारी किया है। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अब कोई भी निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें नहीं पढ़ा सकेगा। साथ ही स्कूल परिसर में यूनिफॉर्म, बैग, स्टेशनरी जैसी वस्तुएं बेचना भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
अब केवल NCERT और पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें ही होंगी मान्य
इस नए निर्देश के मुताबिक CBSE और ICSE बोर्ड से जुड़े स्कूलों में केवल NCERT द्वारा प्रकाशित किताबों से ही पढ़ाई कराई जाएगी। वहीं छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (CGBSE) से संबद्ध स्कूलों को केवल छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की स्वीकृत किताबों का ही उपयोग करना होगा। किसी भी निजी प्रकाशन की किताबें अब मान्य नहीं होंगी और ऐसा करने पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
Read This Too-ICAI CA Final Result 2025: मई सेशन का रिजल्ट 3 या 4 जुलाई को हो सकता है जारी, ऑफिशियल लिंक icai.nic.in पर चेक करें
Read This Too-सोना गिरा धड़ाम! चंडीगढ़ से मुंबई तक सोने की कीमतों में भारी उतार, जानिए आज का ताज़ा रेट
स्कूल परिसर में बिक्री पर सख्त रोक, तय दुकान से खरीददारी की बाध्यता खत्म
जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश में स्कूल परिसरों में किसी भी प्रकार की सामग्री बेचने पर रोक लगा दी गई है। इसमें जूते, मोजे, बेल्ट, बैग, नोटबुक और यूनिफॉर्म जैसी चीजें शामिल हैं। साथ ही कोई भी स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सत्र की शुरुआत में प्रमाणपत्र देना अनिवार्य
DEO रायपुर ने सभी निजी स्कूलों को आदेश दिया है कि सत्र की शुरुआत में यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें कि वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। यह प्रमाणपत्र नोडल प्राचार्य के माध्यम से शिक्षा विभाग कार्यालय में जमा करना होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी स्तर पर आदेशों की अनदेखी न हो और पालकों को बेवजह परेशान न किया जाए।
पालकों को मिली राहत, महंगी किताबों और यूनिफॉर्म का झंझट खत्म
इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत अभिभावकों को मिली है। अब वे अपनी सुविधा और बजट के अनुसार किसी भी दुकान से यूनिफॉर्म या स्टेशनरी खरीद सकेंगे। साथ ही उन्हें महंगी प्राइवेट किताबें खरीदने की बाध्यता से छुटकारा मिलेगा। इसका असर शिक्षा के खर्च पर पड़ेगा और गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह राहतभरा कदम माना जा रहा है।
शिकायतों के बाद आया यह बड़ा फैसला
पिछले कई महीनों से शिक्षा विभाग को शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ निजी स्कूल किताबें और यूनिफॉर्म के नाम पर पालकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं। साथ ही विशेष दुकानों से सामग्री खरीदने का दबाव बनाया जा रहा था। इन्हीं शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए DEO रायपुर ने यह सख्त निर्देश जारी किया है ताकि शिक्षा में पारदर्शिता लाई जा सके।
Read This Too-रेलवे में बड़ा बदलाव: अब 8 घंटे पहले बनेगा रिजर्वेशन चार्ट, तत्काल टिकट के नियम भी बदलेंगे – जानिए 1 जुलाई से क्या-क्या होगा नया
Read This Too-CBSE की नई स्कॉलरशिप स्कीम शुरू, ग्रेजुएशन और PG स्टूडेंट्स को मिलेगा सालाना ₹20,000 – आवेदन शुरू
निजी स्कूल प्रबंधन का विरोध, NCERT किताबों की आपूर्ति को बताया चुनौती
हालांकि छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने इस आदेश का विरोध किया है। उनका कहना है कि NCERT की किताबें समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें एक वैकल्पिक व्यवस्था थीं। उन्होंने DEO से अपील की है कि वे इस आदेश पर पुनर्विचार करें और कुछ राहत प्रदान करें।
DEO ने दोहराया सख्त रुख, नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई तय
जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि सभी स्कूलों को केवल अपने संबद्ध बोर्ड की किताबें पढ़ानी होंगी और सभी छात्रों को मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों और परीक्षाओं का ही पालन करना होगा। यदि कोई स्कूल इन निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उस पर शिक्षा अधिनियम के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
रायपुर में उठाया गया यह कदम शिक्षा को ज्यादा पारदर्शी, सस्ती और समान बनाने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। अब राज्य के अन्य जिलों में भी इस मॉडल को लागू करने की संभावना जताई जा रही है। यह फैसला न केवल पालकों को राहत देगा, बल्कि शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही और ईमानदारी की मिसाल भी पेश करेगा।