अंडमान में तेल की सबसे बड़ी खोज! भारत को जल्द मिल सकती है ऊर्जा स्वतंत्रता, जानें सरकार का पूरा प्लान
नई दिल्ली – भारत अंडमान सागर में कच्चे तेल का विशाल भंडार खोजने की कगार पर है। अगर यह खोज सफल होती है, तो यह न सिर्फ देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती देगी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नया अध्याय साबित हो सकती है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में इस खोज को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इसे ‘गुयाना जैसे चमत्कार’ से जोड़ा है।
अंडमान सागर में 1.84 लाख करोड़ लीटर तेल का अनुमान
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि अंडमान सागर में लगभग 1.84 लाख करोड़ लीटर कच्चे तेल का भंडार हो सकता है। उन्होंने इस खोज को दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना की उस ऐतिहासिक खोज से जोड़ा, जहां 41वें कुएं में तेल मिलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली। पुरी का मानना है कि भारत भी अब उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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कृष्णा-गोदावरी बेसिन के बाद अब अंडमान में उम्मीद
मंत्री पुरी ने कहा कि जैसे कृष्णा-गोदावरी बेसिन से सकारात्मक परिणाम मिले थे, वैसे ही अब अंडमान सागर से भी उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि यह खोज देश की अर्थव्यवस्था को $3.7 ट्रिलियन से $20 ट्रिलियन तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
ONGC और ऑयल इंडिया ने शुरू की खुदाई
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में तेल और गैस की खोज को प्रोत्साहन देने के लिए कई बड़े नीतिगत बदलाव किए हैं। इसके तहत ONGC और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने अंडमान क्षेत्र में गहरे समुद्र में खुदाई शुरू कर दी है। ONGC ने वित्त वर्ष 2024 में 541 कुएं खोदे, जो पिछले 37 वर्षों में सबसे अधिक हैं। इनमें 103 खोज कुएं और 438 विकास कुएं शामिल हैं।
घरेलू उत्पादन से घटेगा तेल आयात, महंगाई में राहत
वर्तमान में भारत अपनी 85% से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है। अंडमान सागर में यदि व्यावसायिक स्तर पर तेल निकलता है, तो इससे भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही तेल आयात पर खर्च भी घटेगा और देश के चालू खाता घाटे पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आ सकती है स्थिरता
घरेलू स्तर पर तेल की उपलब्धता बढ़ने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी स्थिरता आ सकती है। इससे आम आदमी को राहत मिलेगी और उद्योगों को सस्ता ईंधन मिल पाएगा। आर्थिक जानकार मानते हैं कि इससे देश की मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
भारत अपना रहा है गुयाना मॉडल
पुरी ने बताया कि भारत गुयाना मॉडल को अपनाने की दिशा में काम कर रहा है। गुयाना में एक्सॉन मोबिल जैसी कंपनियों ने 41वें कुएं में जाकर तेल खोजा था। भारत में अंडमान क्षेत्र अभी शुरुआत में है, लेकिन अगर खुदाई इसी गति से आगे बढ़ी, तो जल्द ही देश को एक बड़ी सफलता मिल सकती है।
बड़े निवेश और रोजगार के खुलेंगे रास्ते
तेल और गैस की खोज से जुड़े नए क्षेत्रों में निवेश और रोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे। यह न सिर्फ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देगा, बल्कि देशभर में ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा।
सरकार ने 2016 से कई बड़े सुधार किए हैं, जिनमें ओपन एक्रेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) जैसे फैसले शामिल हैं। इससे 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल खोज की अनुमति दी गई है। अब तक की नीलामी में घरेलू और विदेशी कंपनियों ने अंडमान क्षेत्र में विशेष रुचि दिखाई है।
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भारत बन सकता है तेल उत्पादक देशों की कतार में
अगर यह खोज सफल होती है, तो भारत जल्द ही वैश्विक तेल उत्पादक देशों की कतार में शामिल हो सकता है। इससे विदेशी निवेश को बल मिलेगा और भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में और मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज भारत की रणनीतिक ऊर्जा भंडारण क्षमता को भी बढ़ाएगी।हरदीप सिंह पुरी ने यह भी कहा कि भारत अब उस मुकाम पर है, जहां से वह अपनी ‘गुयाना’ जैसी खोज के बेहद करीब पहुंच चुका है। अगर यह खोज सफलता में बदलती है, तो यह न सिर्फ ऊर्जा क्षेत्र, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार, निवेश और वैश्विक कूटनीति में भी बदलाव ला सकती है।
भारत अब ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। अंडमान सागर की यह खोज आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक तस्वीर को पूरी तरह बदल सकती है।