चीन को क्यों डरा रहा है भारत का चिनाब ब्रिज? पढ़ें Chenab Bridge की वो अनसुनी कहानी

Chenab Bridge की वो अनसुनी कहानी जो चौंका देगी कश्मीर से LAC तक अब भारत की सीधी पहुंच, चीन-पाक की नींद उड़ी

नई दिल्ली: भारत ने वो कर दिखाया है जो कभी असंभव माना जाता था। दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज — चिनाब ब्रिज — का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया, और इसके साथ ही देश ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक सपने को सच कर दिया। लेकिन यह ब्रिज सिर्फ ट्रेनों के लिए नहीं बना… यह भारत की ताकत, टेक्नोलॉजी और तिरंगे की ताजगी का प्रतीक है।

यह ब्रिज 359 मीटर ऊंचा है – एफिल टॉवर से भी ऊंचा! यह देश का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज भी है, जिसे बेहद चुनौतीपूर्ण भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में बनाया गया। पर इसकी असली ऊंचाई इसकी रणनीतिक ताकत में है, जिसने चीन और पाकिस्तान दोनों को बेचैन कर दिया है। अब सेना किसी भी मौसम में LOC या LAC तक सीधे पहुंच सकती है – वो भी बिना रुके, बिना थमे।

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घोड़े-खच्चरों से पहुंचाई गई मशीनें, 22 साल की मेहनत ने रचा इतिहास

जब चिनाब ब्रिज का काम शुरू हुआ, तब वहां तक पहुंचना भी एक जंग जैसा था। न सड़क थी, न रास्ता। ऐसे में इंजीनियरों ने खच्चरों और घोड़ों से भारी सामान चढ़ाया। सालों की मेहनत के बाद वहां सड़कें बनीं, मशीनें पहुंचीं, और फिर शुरू हुआ पुल का असली निर्माण। साल 2021 में पुल की दो विशाल बाहें जब आसमान में मिल गईं, तब वो सिर्फ मेटल का नहीं, भारत के आत्मविश्वास का मिलन था।इस ब्रिज से जुड़े तकनीकी पहलू भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। यहां दुनिया की सबसे बड़ी क्रॉसबार केबल क्रेन का इस्तेमाल किया गया, जो हजारों टन स्टील को एक साथ हवा में उठाकर सही जगह पर रख सकती थी। इसके अलावा पुल की मजबूती के लिए जिस मिट्टी पर निर्माण हुआ, उसे खास तकनीकों से मजबूती दी गई ताकि आने वाले सौ साल तक यह पुल बिना किसी परेशानी के काम करता रहे। हर निर्माण चरण की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार NABL द्वारा मान्यता प्राप्त मोबाइल लैब की स्थापना की गई थी, जिससे हर वेल्डिंग, स्टील और कंक्रीट की टेस्टिंग मौके पर ही हो सके।

चीन की बढ़ी बेचैनी, खुफिया निगरानी में जुटा ड्रैगन

पुल का उद्घाटन तो हुआ भारत में, लेकिन गूंज सुनाई दी बीजिंग और इस्लामाबाद में भी। रिपोर्ट्स कहती हैं कि चीन ने चिनाब ब्रिज की जासूसी तक करवाई है। चिनाब ब्रिज सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं रहा, यह राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार बन गया। अब कश्मीर में सेना की आवाजाही पहले से कहीं अधिक तेज और भरोसेमंद हो सकेगी। बर्फबारी, भूस्खलन या संचार अवरोध अब भारतीय सेना को रोक नहीं पाएंगे। यही वजह है कि पाकिस्तान और चीन, दोनों देशों की नींद इस ब्रिज की खबर से उड़ गई है।वजह साफ है – अब भारत की सेना की पहुंच इतनी तेज हो गई है कि अगर LoC या LAC पर कोई हलचल हुई, तो जवाब देने में सेकंड भी नहीं लगेंगे। चिनाब ब्रिज भारत के स्ट्रैटजिक सप्लाई रूट को दुश्मन की आंख में खटकने वाला नज़ारा बना चुका है।

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अब सिर्फ सफर नहीं, सुरक्षा और सम्मान की पटरी पर दौड़ेगी वंदे भारत

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला लिंक के साथ वंदे भारत ट्रेन अब कटरा से श्रीनगर का सफर सिर्फ 3 घंटे में पूरा कर रही है। लेकिन असली जीत ये है कि अब कश्मीर हर मौसम में देश से जुड़ा रहेगा। बर्फबारी हो या भूस्खलन – न ट्रेन रुकेगी, न देश की प्रगति। और सबसे बड़ी बात – सेना का मूवमेंट अब पूरी रफ्तार से, बिना किसी रुकावट के होगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इस पुल पर तिरंगा लेकर मार्च किया, तो वह सिर्फ एक उद्घाटन नहीं था। यह एक संदेश था – भारत अब दुर्गम सीमाओं पर भी अडिग खड़ा हो सकता है, न सिर्फ रक्षा के लिए बल्कि विकास के लिए भी।

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