भारत में शुरू हुआ AI ट्रैफिक सिस्टम,एक क्लिक में चालान, लाइसेंस और हादसों पर मिलेगी पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली – भारत में सड़क हादसों की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने और ट्रैफिक नियमों को कड़ाई से लागू करने के लिए केंद्र सरकार अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की मदद ले रही है। अब ट्रैफिक व्यवस्था से जुड़ी जांच-पड़ताल जैसे – ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता, गाड़ी के दस्तावेज और नियम उल्लंघन – सबकुछ स्वचालित रूप से AI सिस्टम के ज़रिए किया जाएगा।
चंडीगढ़ में हुई दो दिवसीय ई-ट्रांस 2025 कार्यशाला
इस डिजिटल मिशन की शुरुआत चंडीगढ़ में आयोजित एक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ‘ई-ट्रांस 2025’ के ज़रिए हुई, जिसे केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के साथ मिलकर आयोजित किया। इस कार्यशाला में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर में चल रहे डिजिटल प्रयोगों और योजनाओं पर गहन चर्चा की।
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‘सारथी’ ऐप से बिना दफ्तर गए मिलेंगी 31 सेवाएं
कार्यशाला में ‘सारथी’ मोबाइल एप्लिकेशन पर विशेष ध्यान दिया गया। NIC के जायदीप शोम ने बताया कि यह ऐप अब ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ी 31 फेसलेस सेवाओं के साथ अपडेट हो चुका है। यानी, अब आवेदकों को आरटीओ ऑफिस के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े सभी काम अब मोबाइल फोन के ज़रिए घर बैठे हो सकेंगे।
AI से होगी ट्रैफिक चालान की निगरानी
ओडिशा NIC के अधिकारी प्रशांत कुमार नायक ने ई-डिटेक्शन सिस्टम का लाइव डेमो दिया। यह AI सिस्टम टोल प्लाजा के डेटा से गुजरते वाहनों के दस्तावेजों की जांच करता है। अगर किसी गाड़ी के बीमा, फिटनेस या परमिट जैसे दस्तावेज़ एक्सपायर पाए जाते हैं, तो AI खुद-ब-खुद ई-चालान जनरेट कर देता है।
लाइसेंस टेस्ट में भी अब नहीं चलेगा धोखा
AI तकनीक केवल दस्तावेज़ों तक ही सीमित नहीं है। ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में होने वाले कदाचार को रोकने के लिए एक सेल्फ-प्रॉक्टरिंग AI सिस्टम पेश किया गया है। यह सिस्टम टेस्ट के दौरान स्क्रीन को लॉक कर देता है और उम्मीदवार की गतिविधियों पर नज़र रखता है। साथ ही, अपलोड किए गए दस्तावेजों की भी प्रमाणिकता AI के ज़रिए जांची जाएगी।
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दुर्घटनाओं के लिए अब डिजिटल रिकॉर्ड तैयार
कार्यशाला में सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण को लेकर भी कई तकनीकी पहल साझा की गईं। IRAD (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटाबेस) और e-DAR (डिजिटल एक्सीडेंट रिपोर्टिंग सिस्टम) जैसे प्लेटफॉर्म्स की मदद से अब तक देशभर की लगभग 19 लाख सड़क दुर्घटनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार हो चुका है। यह डेटा पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य, बीमा और हाईवे विभागों के बीच बेहतर समन्वय में मदद करता है।
BI पोर्टल से होगा एनालिसिस और निगरानी आसान
e-ट्रांसपोर्ट एनालिटिक्स डिवीजन की ओर से एक नया बिजनेस इंटेलिजेंस (BI) पोर्टल भी लॉन्च किया गया। यह पोर्टल सरकार को सड़क सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण और कानून प्रवर्तन से जुड़े निर्णयों में मदद करेगा। डेटा एनालिसिस के ज़रिए नीतियों को और भी प्रभावी बनाया जाएगा।
वॉयस फर्स्ट टेक्नोलॉजी से जुड़ेगा हर नागरिक
भाषिणी के सीईओ अमिताभ नाग ने ‘वॉयस फर्स्ट’ AI विजन पर बात की। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में AI तकनीक को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा ताकि आम लोगों के लिए भी इसका इस्तेमाल आसान हो सके। यह पहल भारत को डिजिटल रूप से समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए भारत में AI आधारित डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। सरकारी दफ्तरों की लंबी कतारें, कागजी दस्तावेज़ों की जाँच और ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की पहचान – अब सब कुछ AI खुद करेगा। इस तकनीक से न सिर्फ सिस्टम पारदर्शी बनेगा, बल्कि सड़क हादसों में भी भारी कमी लाने की उम्मीद है।
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