अब LIVE क्लास में होगा Teachers का मूल्यांकन, 23 पैमानों पर तय होगी असली काबिलियत!
नई दिल्ली – गर्मियों की छुट्टियों के बाद जब स्कूल दोबारा खुलेंगे तो अब सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की कक्षा में पढ़ाने की शैली का प्रत्यक्ष (LIVE) निरीक्षण किया जाएगा। ये कोई औपचारिक फॉर्म नहीं होगा, बल्कि एक सख्त और वास्तविक जांच प्रक्रिया होगी – जहां यह देखा जाएगा कि शिक्षक बच्चों को कैसे पढ़ाते हैं, उनकी ट्रेनिंग का कितना असर कक्षा में दिख रहा है, और बच्चों की भागीदारी कितनी है।
SCERT की नई व्यवस्था से बदलेगा सरकारी स्कूलों का चेहरा
State Council of Educational Research and Training (SCERT) के निदेशक विनायक मिश्र ने राज्य भर के District Institute of Education and Training (DIET), बीटीई, और शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों को सख्त निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब यह परखा जाए कि सालों से चल रही टीचर्स ट्रेनिंग का ग्राउंड लेवल पर क्या असर हुआ है? क्या वाकई बच्चे कुछ नया सीख पा रहे हैं या सब सिर्फ कागजों में दर्ज है?
इसलिए अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रशिक्षण पाने वाले शिक्षक जब कक्षा में पढ़ाएं, तो उनकी पूरी पढ़ाने की शैली का लाइव मूल्यांकन किया जाए।
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कैसे होगा यह LIVE मूल्यांकन?
इस बार मूल्यांकन सिर्फ डायरियों या फीडबैक फॉर्म तक सीमित नहीं रहेगा। स्पेशल फैकल्टी टीमों का गठन किया गया है, जो हर सप्ताह राज्य के 5 अलग-अलग स्कूलों का दौरा करेंगी। हर टीम को एक हाई स्कूल, एक मिडिल स्कूल और तीन प्राइमरी स्कूलों में जाकर शिक्षकों की कक्षा के दौरान लाइव परफॉर्मेंस का निरीक्षण करना होगा।
टीम यह देखेगी कि:
- शिक्षक विषय को कितनी स्पष्टता और तार्किक ढंग से समझा रहे हैं?
- क्या वो बच्चों से संवाद कर रहे हैं या सिर्फ बोलकर चले जा रहे हैं?
- क्या बच्चों को सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया जा रहा है?
- क्या बच्चों को उदाहरणों और कहानियों से जोड़कर पढ़ाया जा रहा है?
- क्या शिक्षक सभी छात्रों को बराबर ध्यान दे रहे हैं?
- छात्र कक्षा में कितनी भागीदारी दिखा रहे हैं?
यह पूरा मूल्यांकन कुल 23 बिंदुओं पर आधारित होगा और इसकी रिपोर्ट SCERT मुख्यालय को सीधे भेजी जाएगी।
क्या सिर्फ मूल्यांकन ही होगा? नहीं… बदलाव की भी होगी शुरुआत
इस LIVE मूल्यांकन का मकसद केवल टीचर्स को परखना नहीं है, बल्कि यह भी देखना है कि:
- कौन से विषयों में शिक्षक कमजोर हैं?
- किस ट्रेनिंग से फायदा मिला और किससे नहीं?
- भविष्य की ट्रेनिंग कैसे और ज्यादा प्रभावी बनाई जाए?
अगर किसी भी स्कूल या शिक्षक की परफॉर्मेंस कमजोर पाई जाती है, तो उसके लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। यानी, यह सिर्फ निरीक्षण नहीं, बल्कि एक सुधार की दिशा में कदम है।
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क्या शिक्षकों पर दबाव पड़ेगा?
SCERT का कहना है कि यह मूल्यांकन किसी सजा की तरह नहीं होगा। टीमों को यह सख्त हिदायत दी गई है कि वो शिक्षकों के साथ मित्रवत और सहयोगी व्यवहार करें। मूल्यांकन का मकसद सिर्फ कमियां पकड़ना नहीं, बल्कि शिक्षक और शिक्षा दोनों को बेहतर बनाना है।
टीमों को यह भी समझाया गया है कि:
- शिक्षकों से किसी प्रकार की तल्खी न रखी जाए।
- क्लासरूम माहौल में दखल न दिया जाए।
- सिर्फ ऑब्जर्वेशन के आधार पर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार की जाए।
छात्रों के लिए क्यों जरूरी है यह पहल?
आज सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी चुनौती है – गुणवत्ता वाली शिक्षा। लाखों बच्चों की पढ़ाई सिर्फ इसलिए कमजोर रह जाती है क्योंकि कक्षा में उन्हें सही तरीके से समझाया नहीं जाता। अब जब हर शिक्षक को LIVE क्लास में जांचा जाएगा, तो यह एक तरह से छात्रों को भी फायदा देगा।
- अब शिक्षक पढ़ाने के प्रति ज्यादा सजग रहेंगे।
- कक्षा में बच्चों को ज़्यादा महत्व मिलेगा।
- हर विषय पर गहराई से चर्चा होगी।
- शिक्षा व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी।
इस LIVE मूल्यांकन प्रणाली से सरकार यह साबित करना चाहती है कि वह सिर्फ योजनाएं बनाने में नहीं, उन्हें ज़मीन पर उतारने में भी गंभीर है। अब शिक्षक भी जानेंगे कि उनकी ट्रेनिंग सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है, जिसे हर हाल में निभाना है।
यह बदलाव अगर सही ढंग से लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में सरकारी स्कूलों की छवि पूरी तरह बदल सकती है। और यही असली मकसद है – बच्चों को बेहतर शिक्षा, सही मार्गदर्शन और एक उज्जवल भविष्य देना।
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