जरूरी खबर: Income Tax ने ITR Filing के नियमों में किया बड़ा बदलाव, टैक्सपेयर्स को अब देनी होंगी ज्यादा डिटेल्स
नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ने ITR फाइलिंग से जुड़े नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। अब अगर आप पुराने टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहते हैं, तो आपको ज्यादा जानकारी और दस्तावेज देने होंगे। विभाग ने Section 80C, 80D, HRA, 80E और 80EEB जैसे कई सेक्शनों में बदलाव किए हैं। इसका सीधा असर उन टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा जो पुराने टैक्स स्लैब का विकल्प चुनते हैं।
ITR Filing की डेडलाइन बढ़ी, अब 30 सितंबर तक करें फाइल
इस बार इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है। लेकिन राहत के साथ-साथ पुराने टैक्स रिजीम में सख्ती भी बढ़ गई है। अब टैक्स छूट लेने के लिए आपको हर सेक्शन की पूरी जानकारी देनी होगी। जिन क्लेम्स के लिए पहले सिर्फ रकम और स्कीम का नाम चलता था, वहां अब दस्तावेज और पहचान डिटेल्स जरूरी हो गई हैं।
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Section 80C के लिए क्या देना होगा?
अगर आप सेक्शन 80सी के तहत PPF, EPF, NSC, या जीवन बीमा प्रीमियम जैसी स्कीमों में निवेश कर टैक्स छूट लेना चाहते हैं, तो अब आपको ज्यादा जानकारी देनी होगी। इसके लिए रिसीप्ट नंबर, पॉलिसी या डॉक्यूमेंट आईडी, अकाउंट नंबर और भुगतान करने वाले व्यक्ति का नाम बताना अनिवार्य होगा।
Section 80D में क्या मांगेगी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट?
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर छूट लेने के लिए अब आपको बीमा लेने वाले व्यक्ति का नाम, पॉलिसी नंबर, प्रीमियम पेमेंट की रसीद और अगर आपने परिवार के किसी सदस्य के लिए बीमा लिया है तो उसके साथ आपका क्या संबंध है – ये सब जानकारी देनी होगी।
HRA क्लेम करने पर क्या जानकारी देनी होगी?
अगर आप HRA के तहत किराए का दावा कर रहे हैं तो आपको ये बताना होगा कि आप कहां काम करते हैं, आपको कितना HRA मिल रहा है और आपने कितना किराया भरा है। इसके साथ आपको रेंट रिसिप्ट, मकान मालिक का नाम और अगर सालाना किराया एक लाख से ज्यादा है तो उसका PAN नंबर भी देना होगा।
Section 80E और 80EE में क्या है नया नियम?
होम लोन या एजुकेशन लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट के लिए अब टैक्सपेयर्स को लोन अकाउंट नंबर, इंटरेस्ट पेमेंट सर्टिफिकेट, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का नाम और जिस व्यक्ति के लिए लोन लिया गया है उसका नाम भी देना होगा। ये डिटेल्स जरूरी होंगी ताकि क्लेम को वेरिफाई किया जा सके।
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Section 80EEB के लिए क्या जानकारी देनी होगी?
अगर आपने इलेक्ट्रिक व्हीकल, कार या किसी इलेक्ट्रॉनिक आइटम के लिए लोन लिया है और उस पर मिलने वाली टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं, तो आपको भी लोन अकाउंट नंबर, इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, वित्तीय संस्था का नाम और जिस नाम पर लोन लिया गया है, वो जानकारी देनी होगी।
टैक्सपेयर्स के लिए कितना फायदेमंद है ये बदलाव?
सीए सिद्धार्थ केजरीवाल के मुताबिक, ये बदलाव टैक्स सिस्टम को पारदर्शी बनाएंगे। पहले कुछ लोग बिना सही दस्तावेजों के टैक्स छूट का फायदा ले लेते थे। अब ऐसा करना मुश्किल होगा। वहीं, सीए विकास अग्रवाल का कहना है कि ईमानदार टैक्सपेयर्स के लिए यह एक अच्छा कदम है लेकिन अब उन्हें हर क्लेम के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी।
क्या करना चाहिए टैक्सपेयर्स को?
अब टैक्स फाइल करने से पहले सभी निवेश और खर्चों के प्रमाण जुटा लें। हर क्लेम के लिए सही दस्तावेज, रिसीप्ट और पहचान से जुड़ी जानकारी तैयार रखें। कोई भी जानकारी छूटने पर आपका टैक्स क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। इसीलिए बेहतर होगा कि आप किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट से राय लेकर ही ITR फाइल करें।
Income Tax विभाग का यह कदम टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में है। अगर आपने ईमानदारी से निवेश किया है और आपके पास सभी जरूरी दस्तावेज हैं, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। बस इस बार ITR फाइल करते समय पहले से पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ें।